सबके घोड़े ग्वालियर की ओर

राव साहब और रानी लक्ष्मीबाई ने यह तय किया कि वे अपने साथियों सहित ग्वालियर जाएंगे।

वहां के शासक जियाजी राव से वे मदद मांगेंगे।

इस प्रस्ताव के सर्वसम्मति से पास होते ही सबके घोड़े ग्वालियर की ओर दौड़ने लगे। एक लंबी मंजिल तय करके यह लोग ग्वालियर पहुंच गए।

रानी जियाजी राव के पास स्वयं नहीं गई।

उसने अपना एक साथी भेजा जो यह प्रस्ताव लेकर गया था कि जियाजी राव और रानी लक्ष्मीबाई दोनों मिलकर एक साथ अंग्रेजों पर हमला करेंगे।

क्योंकि जब अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा कर लिया है, कौंच और कालपी भी उन्होंने ले लिया तो वे ग्वालियर के किले पर भी अधिकार करेंगे। इसमें तनिक भी संदेह नहीं।

ग्वालियर पर कब्जा करने अंग्रेजी फौज आ ही रही होगी। हमें उससे मोर्चा लेने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

यह सुनकर जियाजी राव मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ कि उसने रानी के दूत से कह दिया कि हां मैं रानी की सहायता करूंगा।

हम दोनों साथ-साथ अंग्रेजों के साथ लड़ेंगे; लेकिन जब रानी का दूत चला गया तो उसने अंग्रेजों को यह सूचना भेज दी कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई मेरे पास सैनिक सहायता मांगने आई है। मैंने उससे तो कह दिया कि मैं अभी रानी की सहायता के लिए आ रहा हूं।

मगर मैं उसका साथ नहीं दूंगा। मैं ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ हूं। मैं रानी की सेना पर धावा बोल दूंगा।

इस तरह ग्वालियर के शासक जियाजी राव ने रानी को धोखा दिया। वह अंग्रेजों से मिल गया। उनको सहायता देने का वचन दिया। उस देशद्रोही ने नीचता की हद कर दी।

रानी की सेना ग्वालियर के निकट आ गई थी।

अचानक उस पर गोलाबारी होने लगी। रानी को पता लग गया कि जियाजी राव ने जयचंद का काम किया है।

उसने ही मेरी सेना के आगे तोपें लगवा दी हैं। इसका मतलब उसने मुझ पर हमला कर दिया।

इस प्रकार लक्ष्मीबाई जियाजी राव की चाल को फौरन ही समझ गई। वह युद्ध के लिए तैयार हो गई और ईंट का जवाब पत्थर से देने लगी।

उसने अपने वीर सेनापतियों को ललकारा। उनसे जोर देकर कहा कि जान की बाजी लगा दो। जियाजीराव को जिंदा या मुर्दा पकड़कर मेरे हवाले करो। वह गद्दार है, देशद्रोही है। वह अंग्रेजों से मिल गया है।

बस फिर क्या था भयंकर मारकाट होने लगी।

रानी के साथियों ने अपने प्राण हथेली पर रख लिए थे। उसकी सेनिकाएं दोनों हाथों युद्ध कर रही थीं।

रानी प्रतीक्षा कर रही थी कि तांत्या टोपे की सेना पीछे आ रही है। उसके आते ही उसे दुगनी सहायता मिल जाएगी।

इससे उसकी हिम्मत बढ़ी। वह आगे बढ़ती चली गई। किसी तरह वह ग्वालियर के किले में किले के अंदर रानी के साथियों ने बड़ी वीरता से युद्ध किया।

जियाजी राव रानी के मोर्चे में घिर गया। तभी रानी को मौका मिला।

उसने किले के तोपखाने पर हमला कर दिया। तोपखाने पर कब्जा होते ही जियाजी राव भागा।

रानी ने उसका पीछा किया। ठीक तभी दूसरी ओर से तात्या टोपे की सेना आ गई। प्रविष्ट हो गई।

इस तरह सैनिक सहायता मिलते ही रानी दूने जोश से युद्ध करने लगी। जियाजी राव अपनी जान लेकर भागा।

उसने ग्वालियर छोड़ दिया। उसके साथ कुछ चुने हुए साथी थे। वह धौलपुर की ओर भाग गया।

रानी ने ग्वालियर पर अपना अधिकार कर लिया। किले पर उसका झंडा लहराने लगा।

राव साहब और सरदार तात्या टोपे रानी की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे थे कि उसने अच्छे साहस का परिचय दिया। जियाजी राव के सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए।

अगर बहन होती तो ग्वालियर पर अधिकार कभी नहीं हो सकता था।

इस युद्ध से तात्या टोपे को भी यह पूरा श्विास हो गया था कि रानी लक्ष्मीबाई एक बहुत बड़ी वीरांगना है।

वह युद्ध कौशल में ही चतुर नहीं, बल्कि एक योग्य सेनापति भी है। उसका सैन्य संगठन इस तरह का होता है कि दुश्मन आसानी से उसका मोर्चा कभी नहीं तोड़ सकता।

यह सब था; लेकिन रानी लक्ष्मीबाई निश्चिंत नहीं थी। उसे अंग्रेजों का भय अभी भी लगा हुआ था।

वह जानती थी कि जियाजी राव उसके खिलाफ है। वह अंग्रेजों की शरण में जाएगा और इस तरह ग्वालियर पर अंग्रेजी सेना का हमला बहुत जल्दी होगा।

अतः वह युद्ध की तैयारी में लग गई। उसने दूसरी ओर ध्यान नहीं दिया। सबसे पहले रानी ने अपनी सेना को संगठित किया।

उसमें वृद्धि की। फिर उसने तोपखाने का निरीक्षण किया। बारूद पर्याप्त मात्रा में थी। गोले भी बहुत थे।

जियाजी राव के कब्जे से उसे बहुत से अस्त्र-शस्त्र भी मिले थे। रानी की सेना अब काफी बड़ी हो गई थी।

वह सभी सैनिकों को देश-प्रेम का पाठ पढ़ाती। सबको उसके प्रति श्रद्धा थी। सभी उसका सम्मान करते। राव साहब और तात्या टोपे रानी की हां में हां मिलाते।

उन्हें रानी पर गर्व था।

वे जानते थे कि युद्ध के समय रानी साक्षात् चण्डी बन जाती है। वह अंग्रेजों से लोहा लेगी।

उनके दांत खट्टे कर देगी। अब उसके पास पहले से चौगुनी ताकत है।

ग्वालियर उसके हाथ में आ गया है। तोपखाना अच्छा खासा मिला है।

अब अंग्रेजों से टक्कर लेना उसके लिए बहुत आसान हो गया है।