मैकू

शहर के ताड़ीखाने पर कांग्रेस के स्वयंसेवकों ने धरना जमा रखा है।

वे किसी को शराब पीने के लिए ताड़ीखाने में जाने नहीं दे रहे ।

ताड़ीखाने पर पियक्क्ड़ों की भीड़ जमा हो गई क्योंकि ठेकेदार ने आज मुफ्त पिलाने की घोषणा कर डाली थी |

कांग्रेसी सबसे हाथ जोड़कर विनय-प्रार्थवा कर अंदर जाने से रोक रहे थे ।

उधर ठेकेदार ने स्वयंसेवकों को मार-पीटकर भगाने के लिए भाड़े के टट्टू बुला रखे थे ।

मैकू और कादिर ऐसे ही पियक्कड़्‌ और भाड़े के टट्दू वहाँ आए ।

एक कांग्रेसी स्वयंसेवक ने हाथ जोड़कर मैकू को अंदर जाने से रोका तो मैकू ने उसके गाल पर एक ऐसा जोर का थप्पड़ रसीद किया कि गाल पर पंजा छप गया और आँखों में खून उतर आया ।

स्वयंसेवक गिर गया पर नम्रता से उसके आगे सिर झुकाए रहा और बोला-“ जितना चाहो, मारो, पर अंदर न जाओ ।”

मैकू ने इससे पहले अपनी लाठी से टूटे हुए कितने ही सिर देखे थे, पर आज की-सी मानसिक ग्लानि उसे कभी न हुई थी !

वे पाँचों उँगलियों के निशान किसी पंचशूल की भाँति उसके हृदय में चुभ रहे थे ।

मैकू स्वयंसेवक से यह वादा करके कि मैं ताड़ी नहीं पीऊंगा, अंदर चला गया ।

ठेकेदार ने उसका स्वागत किया ।

मैकू ने उससे एक लाठी माँगी ।

ठेकेदार खुश हुआ और बोला-इन स्वयंसेवकों के ऐसी जमाओ कि फिर कभी इधर का मुँह न करें ।”

मोटा-सा डंडा हाथ में लेते ही अकस्मात मैकू ने ठेकेदार की खोपड़ी फोड़कर उसे धूल चटा दी ।

उसने ताड़ी पीने आए पियक्कड़ों पर भी ताबड़तोड़ डंडे बरसा कर उन्हें भगा दिया ।

उसने देखते-ही-देखते ताड़ी से भरे मटके , बोतलें और बरतन सब तोड़ डाले !

उसके साथी कादर ने टोका तो वह बोला - तमाचे के निशान मेरे कलेजे पर बन गए हैं ।

जो लोग दूसरों को गुनाह से बचाने के लिए अपनी जान देने को खड़े हैं, उन पर वही हाथ उठाएगा जो पाजी है, कमीना है , नामर्द है !

मैकू फिसादी है, लठैत गुंडा है, पर कमीना और नामर्द नहीं है।”

मैकू ने नशेबाजों को भी लताड़ते हुए कहा-“ घर में तो फाके हो रहे हैं,

घरवाली तुम्हारे नाम को रो रही है और तुम यहाँ पीने आए हो ? लानत है इस नशेबाजी पर ।