पुराण

‘पुराण' का अर्थ है अत्यंत प्राचीन या पुराना।

पुराण हिन्दुओं के पवित्र धार्मिक ग्रंथों के भाग हैं।

भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रंथों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण प्राचीन भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

ये भारतीय संस्कृति के प्राण हैं।

पुराणों में ऋषि चिंतन का व्यावहारिक निचोड़ है तथा भारतीय जीवन शैली का आधार है।

जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है।

जिज्ञासुओं के सभी प्रश्नों के उत्तर पुराणों में हैं।

इसमें लोक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं, कहानियों और देवी-देवताओं की वंशावली का संकलन है।

मूलतः इसकी रचना संस्कृत भाषा में हुई।

बाद में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, जिसकी शैली महाभारत और रामचरितमानस की तरह काव्यात्मक है।

पुराणों की यात्रा पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप में ही चलती रही।

काफ़ी समय के बाद इसे लिपिबद्ध किया गया।

पुराणों के रचना काल के विषय में मतभेद है।

कुछ लोगों का मानना है कि पुराणों की रचना 350 से 1500 ई० में हुई, तो कुछ इसे 3200 से 3100 ई० पू० की रचना मानते हैं।

पुराणों के दो भाग हैं— महापुराण और उपपुराण।

इनमें से प्रत्येक में 18 आख्यान हैं।