अजामिल एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण था।
वह वेद तथा अन्य शास्त्रों में निपुण था।
एक बार उसकी मुलाकात एक अत्यंत सुंदर स्त्री से हुई।
अजामिल उसकी ओर आकृष्ट हो गया।
दोनों ने विवाह कर लिया।
उनका एक पुत्र हुआ।
उन्होंने अपने पुत्र का नाम ‘नारायण' रखा था।
विवाह के बाद कुसंगत के कारण अजामिल को जूए और चोरी की लत लग गई।
अपना पूरा जीवन अजामिल ने बुरे कार्य करते हुए व्यतीत कर दिया।
मृत्यु शय्या पर जाने पर उसे पुत्र याद आया।
उसने उसे पुकारा, 'नारायण', 'नारायण'...
यम के दूत जब उसे लेने आए तो पहले से आए विष्णु भगवान को देखा।
यम के दूत अजामिल को अपने साथ ले जाना चाहते थे,
किन्तु विष्णु ने कहा, “उसने मेरा नाम बुलाया था... मुझे पुकारा था... नारायण...
इसलिए उसके पाप धुल गए.... और अब मैं उसे अपने घर ले जाऊँगा।
इस प्रकार पापों के धुल जाने के कारण अजामिल को मुक्ति मिल गई।