कहा जाता है कि धरती पर सर्वप्रथम मनु का जन्म हुआ था।
एक प्रात: वह नदी में प्रक्षालन कर रहे थे तभी उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी,
“हे राजन्! मेरी रक्षा करें... मुझे अपने साथ ले चलें।
उन्होंने अपनी अंजुली में एक मछली को देखा।
उसे घर लाकर उन्होंने काँच के बड़े मर्तबान में रख दिया।
दिन-प्रतिदिन मछली बड़ी होती गई, बड़े मर्तबान में उसे डाला गया पर अंत में मछली के कहने पर मनु ने उसे समुद्र में छोड़ दिया।
तब मछली ने मनु से कहा, “मनु मैं विष्णु का मत्स्य रूप अवतार हूँ...
शीघ्र ही महाप्रलय आएगा...।
मैं चाहता हूँ कि धरती पर रहने वाले जीव-जन्तुओं के जोड़े और वेद तथा सप्तर्षियों के साथ
एक जहाज को तुम मेरी नाक से बाँध दो... मैं तुम्हें सुरक्षित जगह ले जाऊँगा।"
मनु ने मत्स्य के कहे अनुसार ही किया और
महाप्रलय के समय सभी जीवों के जोड़े को सुरक्षित बचा लिया।