एक बार वशिष्ठ तथा विश्वामित्र ऋषि में चर्चा छिड़ गई कि
तपस्या अच्छी है या सत्संगति।
विश्वामित्र कठोर तपस्या के पक्ष में थे जबकि वशिष्ठ सत्संगति के।
इसके निर्णय के लिए दोनों आदिशेष के पास गए।
कुछ सोचने के पश्चात् आदिशेष ने धरती को उठाकर अपने सिर पर रख लिया और कहा,
“देखो, इसका भार मेरे मस्तिष्क पर दबाव डालेगा।
तुम दोनों में से कोई इसे उतारकर अपने ऊपर कुछ समय के लिए ले लो।”
विश्वामित्र ने कहा, “मेरे तप की शक्ति मुझे इस भार को उठाने में सहायता करेगी..."
उन्होंने आदिशेष के सिर से धरती को लेकर अपने सिर पर रखना चाहा पर भारी होने के कारण धरती गिर गई।
वशिष्ठ ने कहा, “सत्संगों की सामूहि शक्ति मुझे इसे उठाने में सहायता करेगी..."
और उन्होंने धरती को सुगमता से उठाए रखा ।
आदिशेष ने अपना निर्णय सुनाया, “विश्वामित्र, निश्चित रूप से सत्संगति का प्रताप श्रेष्ठ है।"