वामन अवतार

असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने महाबलि को यज्ञ करने तथा ब्राह्मणों को

उपहार देकर संतुष्ट करने की सलाह दी।

विष्णु के अवतार नन्हे ब्राह्मण वामन हाथ में छाता और

कमण्डल में जल लिए हुए राजा बलि के पास पहुँचे।

बलि ने उनका स्वागत कर कहा, “ श्रीमान्, मेरा अहोभाग्य!

बताएँ मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?"

"बलि मुझे सोने-चाँदी की लालसा नहीं है...

मुझे मात्र तीन पग भूमि दे दो।"

राजा बलि ने कहा, “ठीक है।"

वामन ने अब अपना रूप बढ़ाना शुरु किया ।

वह इतने बड़े हो गए कि पहले पग से उन्होंने पूरी पृथ्वी माप दी,

दूसरे से सम्पूर्ण जगत और फिर बलि से पूछा, “मैं तीसरा पग कहाँ रखूँ?"

महाबलि ने वामन रूप में विष्णु को पहचान लिया।

आगे बढ़कर कहा, “हे प्रभु! आप अपना तीसरा पग कृपया मेरे सिर पर रखें।"

बलि ने घुटनों पर बैठकर अपना सिर आगे झुका दिया।

वामन ने अपना पग बलि के सिर पर रखा और उसे दबा दिया।

बलि पाताल लोक में पहुँच गया। राजा बलि की दयालुता से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान

ने उसे अमरता का वरदान दिया और पाताल लोक का राजा बना दिया।