कृष्ण वृंदावन में बड़े हुए थे। वहीं यमुना नदी में पाँच सिरों वाला जहरीला साँप कालिया रहता था।
वह गरुड़ के भय से रामनक द्वीप छोड़कर यमुना में आ गया था
जिससे वहाँ का पानी जहरीला हो गया था।
यमुना का पानी पीने वाले जन्तु मरने लगे।
आप-पास के पेड़ पौधे मुरझाकर सूखने लगे थे।
गाँव वाले परेशान हो गए थे।
एक दिन गेंद खेलते समय कृष्ण की गेंद यमुना में चली गई ।
कृष्ण गेंद निकालने यमुना में कूद गए।
वहाँ कालिया ने कृष्ण को अपनी कुंडली में पकड़ लिया और दबाने लगा।
कृष्ण के मित्र सकते में आ गए और गाँववालों को बताने भागे।
कृष्ण ने शांतिपूर्वक अपना रूप छोटा किया और उसके चंगुल से निकल गए।
दोनों में युद्ध होने लगा।
अवसर पाकर कृष्ण उसके सिर पर चढ़कर नृत्य करने लगे।
इधर गाँव वाले आ गए थे और यह सब देखकर हैरान थे।
डर के मारे उनका हाल बुरा हो रहा था। यशोदा
रो रहीं थी। नंद पानी में कूदना चाहते थे पर बलराम ने उन्हें रोक लिया था।
कृष्ण के पैरों की चोट कालिया के लिए असह्य हो रही थी।
अंतत: वह गिड़गिड़ाते हुए बोला, “हे प्रभु! मुझे छोड़ दीजिए, मैं रामनक द्वीप वापस लौट जाऊँगा।”