मुचुकुन्द की निद्रा

इक्ष्वाकु वंश के अम्बरीश का भाई मुचुकुन्द एक महान योद्धा था।

इन्द्र ने

से कहा, मुचुकुन्द “हे महान् योद्धा!

यदि आप मेरी सेना के सेनापति बनना स्वीकार करें तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी।"

मुचुकुन्द सहमत हो गए, युद्ध किया और असुरों को परास्त किया।

प्रसन्न होकर इन्द्र ने कहा, “मुचुकुन्द, एक वर्ष तक आपने युद्ध किया जो कि धरती के हज़ार वर्ष के बराबर है।

इस लंबी अवधि में आपका राज्य और परिवार सब समाप्त हो गया है...

मैं इसके बदले आपको क्या दूँ?”

परिवार के नहीं होने का दुःख तो मुचुकुन्द को हुआ पर उन्होंने इन्द्र से प्रार्थना की, “मैं बहुत थक गया हूँ...

मैं देर तक सोना चाहता हूँ..

यदि कोई मुझे सोते से जगा दे तो वह तुरंत भस्म हो जाए,..." इन्द्र ने उन्हें उनका इच्छित वर दे दिया।

मुचुकुन्द धरती पर आए और मथुरा के पास एक सूनी गुफा में जाकर सो गए।

कृष्ण यह जानते थे।

वे अजेय काल्यवन को अपने पीछे-पीछे इसी गुफा में ले गए।

काल्यवन ने मुचुकन्द को जगाया और जलकर भस्म हो गया।