नर और नारायण

एक बार एक ब्राह्मण अर्जुन के पास आया और विनय करता हुआ बोला,

“मेरे बच्चे जन्म लेते ही गायब हो जाते हैं...

मेरी पत्नी फिर से बच्चे को जन्म देने वाली हैं...

कृपया मेरे बच्चे की रक्षा करें। " अर्जुन ने उसे आश्वासन दिया,

“अवश्य, यम भी उसे नहीं ले जा सकते हैं।”

अर्जुन ने अपने बाण से ब्राह्मण की कुटिया के चारों ओर मज़बूत बाड़ बना दिया

जिससे कोई भीतर न आ सके।

बच्चे का जन्म हुआ पर वह फिर गायब हो गया।

अर्जुन कृष्ण से कारण जानना चाहा।

वह उसे विष्णु के घर ले गए जहाँ ब्राह्मण के बच्चे थे।

विष्णु ने उनका स्वागत कर कहा,

'अर्जुन, पूर्व जन्म में तुम नर थे और कृष्ण नारायण,

जो कि मेरा ही प्रतिरूप था।

मैं यहाँ तुम्हें यह बतलाने लाया हूँ कि तुम और मेरा प्रतिरूप कृष्ण धरती पर

धर्म की रक्षा के लिए गए हो।

तुम कर्म हो और कृष्ण ज्ञान... दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं।