गजेन्द्र और हूहू की श्राप मुक्ति

हाथीराज गजेन्द्र विष्णु भगवान का भक्त था।

वह प्रतिदिन प्रात: विष्णु की आराधना करता था।

गर्मी का दिन था।

हाथीराज गजेन्द्र जंगल से जाते समय पानी पीने के लिए नदी के किनारे रुका।

इसी नदी में पूर्व जन्म का हूहू एक मगरमच्छ के रूप में रहता था।

ज्योंही गजेन्द्र पानी पीने के लिए नदी में उतरा हूहू ने ज़ोर से उसका पैर पकड़ लिया।

गजेन्द्र दर्द से कराह उठा और अपने लोगों को बुलाने के लिए ज़ोर से चिंघाड़ा।

पर किसी ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी।

उसकी सारी चेष्टा व्यर्थ होने पर उसने विष्णु भगवान को पुकारा, “हे प्रभु!

कृपया मेरी रक्षा करें।"

विष्णु भगवान ने तुरंत अपने सुदर्शन चक्र को आज्ञा दी, “जाओ और तुरंत हूहू का सिर काट लाओ।"

सुदर्शन चक्र ने तुरंत जाकर हूहू का सिर काट दिया।

हूहू तुरंत गंधर्व बन गया और गजेन्द्र भी अपने असली रूप में आ गया।

उसने विष्णु का आभार व्यक्त किया और अपना शेष जीवन उनकी आराधना में व्यतीत किया।