शिव द्वारा क्षमा

कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद की यह घटना है।

अपने ही सगे संबंधियों से युद्ध की ग्लानि से भरे हुए पाण्डव महर्षि व्यास से मिलने गए।

अपनों की हत्या के बोझ से दबे पाण्डव अपने पापों के प्रायश्चित का मार्ग जानना चाहते थे।

व्यास ने उन्हें शिव भगवान से क्षमा याचना करने के लिए कहा।

शिव के दर्शन के लिए पाण्डव काशी समेत कई जगह गए पर शिव उन्हें न मिले।

शिव पाण्डवों को देखते ही वहाँ चले जाते।

शिव भगवान उनसे अप्रसन्न थे।

तब पाण्डव शिव को ढूँढते हुए हिमालय पर पहुँचे।

हिमालय पर्वत पर निवास करने वाले शिव पाण्डवों को आता देख स्वयं को एक बैल में परिवर्तित कर पशुओं

के साथ-साथ चलने लगे।

हालांकि भीम ने शिव को पहचान लिया और उनके पीछे भागा।

भीम बैल से लड़ने लगा।

बैल बने शिव तुरंत ज़मीन में समा गए।

अभी मात्र पीठ वाला भाग ऊपर रहा।

अंततः शिव ने प्रकट होकर पाण्डवों को क्षमा कर दिया।

पाण्डवों ने वहीं शिव के मंदिर का निर्माण किया।

आज केदारनाथ में उसी बैल रूपी शिव के पीठ की पूजा की जाती है।