वैष्णवास्त्र की कथा

भगदत्त ने अर्जुन पर वैष्णवास्त्र का प्रयोग किया तब

श्रीकृष्ण ने सामने आकर उसे अपने सीने पर ले लिया।

आश्चर्यचकित अर्जुन ने कृष्ण से पूछा, “जनार्दन! यह कौन सा अस्त्र है?

शत्रु का चलाया अस्त्र अपने ऊपर लेना क्या आपके लिए उचित था?"

अर्जुन के अभिमान को धक्का लगा था।

श्रीकृष्ण ने मुस्कराते हुए कहा, “पार्थ! यह वैष्णवास्त्र था।

यदि इसे मैं अपने ऊपर न लेता तो यह तुम्हारे प्राण लेकर ही छोड़ता ।

वह मेरी चीज थी और मेरे पास लौट आई।"

अर्जुन ने परेशान होते हुए पूछा, “पर आपने ऐसा क्यों किया?"

कृष्ण ने कहा, “ भगदत्त को अपने पिता से यह अस्त्र प्राप्त हुआ था जो धरती देवी के पुत्र थे।

जब मैंने कूर्म अवतार लिया था तब मैंने ही धरती देवी को आशीर्वाद स्वरूप इसे दिया था।

यह इतना शक्तिशाली है कि मैं ही इसके तेज को सह सकता था।"