शिव का एक नाम पशुपतिनाथ भी है अर्थात् पशुओं के रक्षक |
शिव का सर्पों के साथ अटूट संबंध है।
शिव हर चित्र में सर्प का हार पहने दिखाई देते हैं।
शिवलिंग पर भी धातु का बना सर्प होता है।
एक बार की बात है, सर्पों ने शिव जी से प्रार्थना की, हे महादेव! हमारी रक्षा करें।
हम सभी मुसीबत में हैं, हमें आश्रय चाहिए।”
शिव ने उन्हें अपने घर, कैलाश पर्वत पर आश्रय देने का आश्वासन दिया।
वे आ गए पर कैलाश पर्वत बर्फ़ से ढँका हुआ था।
वहाँ काफ़ी ठंड थी।
सर्पों ने पुनः उनसे प्रार्थना की, “हे महादेव! हमें क्षमा करें।
यहाँ हमें बहुत सर्दी लग रही है, हमें गर्मी चाहिए।
क्या आपके शरीर की गर्मी हमें प्राप्त हो सकती है?"
शिव भगवान ने सर्पों का अनुरोध मान लिया।
आभूषण की भांति उन्होंने सर्पों को अपने शरीर पर धारण किया
और उन सर्पों की रक्षा की। शिव सबों के रक्षक हैं।