एक बार देव और असुर दोनों ने ब्रह्मा से जाकर पूछा,
“अंततः युद्ध में कौन विजयी होगा?"
ब्रह्मा ने उत्तर दिया, “निश्चित रूप से इस बार राजा राजी
जिसका साथ देंगे वही युद्ध जीतेगा।"
असुरों ने तुरंत राजा राजी के पास जाकर अपनी ओर से लड़ने का अनुरोध किया।
“हूँऽऽ... मैं लडूंगा पर देवताओं के हारने के पश्चात् इन्द्र का स्थान तुम्हें मुझे देना होगा।”
रह गए। उन्होंने कहा, “ श्रीमान्, वह तो हमारे हाथ में नहीं है...
भौंचक्के असुर प्रह्लाद हमारा इन्द्र होगा।"
उनके जाने के बाद देवता राजी के पास गए और उनसे अपनी तरफ़ से लड़ने का अनुरोध किया।
राजी ने अपनी वही शर्त उनके सामने भी रखी।
देवताओं ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, “अवश्य श्रीमान्, आप ही हमारे इन्द्र होंगे।"
इस प्रकार राजी देवताओं की ओर से लड़े।
उन्होंने सभी असुरों का नाश कर दिया।
इन्द्र बहुत प्रसन्न हुए।
राजी का चरण स्पर्श कर इन्द्र ने कहा, “ श्रीमान्, मैं अपना राज्य आपको देता हूँ।”
राजी ने कहा, “इन्द्र, मुझे तुम्हारे राज्य में कोई रुचि नहीं है... मुझे जाने की अनुमति दो।”