सिंहासन का दावा

कई वर्षों बाद राजी के देहान्त के पश्चात् उसके पुत्रों ने इन्द्र से कहा,

“आपने हमारे पिता को अपना राज्य देने का वचन दिया था... अब

वह तो रहे नहीं, आपको अपना राज्य हमें दे देना चाहिए। "

इन्द्र ने साफ़ मना कर दिया।

फलतः राजी के पुत्रों ने युद्ध करके इन्द्र को हरा दिया।

तत्पश्चात् उन्होंने देवलोक में स्वयं को सर्वशक्तिशाली घोषित कर दिया।

इन्द्र ने जाकर बृहस्पति से प्रार्थना की, “हे प्रभु! मुझे शक्ति प्रदान करें जिससे मैं अपना राज्य पुनः प्राप्त कर सकूँ।”

बृहस्पति ने अपनी शक्तियों के प्रयोग से राजी के पुत्रों को बुरे कामों में उलझा दिया और

उनका दिमाग धर्म के पथ से अलग कर दिया।

उन्होंने इन्द्र को ढेर सारी शक्तियाँ आशीर्वाद स्वरूप प्रदान कीं।

परिणामस्वरूप राजी के पुत्र कमज़ोर होकर इन्द्र द्वारा युद्ध में हार गए।

इन्द्र ने पुनः अपना राज्य प्राप्त कर लिया और उन्हें ‘देवराज' की उपाधि से विभूषित किया गया।