सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने सबसे पहले कुछ विशिष्ट प्राणियों को धरती पर रचा।
उन्हें आने वाली पीढ़ियों का जनक बनाया और उनके पालन का भार सौंपते हुए निर्देश दिया,
“हे विशिष्ट प्राणियों! सृष्टि में सर्वप्रथम आपका आगमन होने के कारण आने वाली पीढ़ियों के पालन का उत्तरदायित्व अब आपका ही है।
अब से आप ही अन्य प्रजापतियों के जनक होंगे।
" पर शीघ्र ही उन विशिष्ट प्राणियों को अपने लालन-पालन में कुछ कमी-सी लगने लगी।
उन्होंने ब्रह्मा के पास जाकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, हे ब्रह्मदेव !
हम लोग अपने बच्चों के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह पूरी निष्ठा से कर रहे हैं पर हमें शक्ति की कमी लग रही है
जिसे हम व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।
आप हमारी सहायता करें।
" ब्रह्मा जी विचारमग्न हो गए।
अंततः उन्हें कारण समझ आ गया। उन्होंने शिव से कहा, “हे प्रभु!
आप ही इस सृष्टि में सर्व शक्तिमान हैं।
आप ही में नारी शक्ति समाहित है या वह आप ही का अंश हैं।
इसका स्पष्टीकरण देते हुए आप कृपया सभी प्राणियों
को आशीर्वाद दें।" ब्रह्मा जी की बातों से सहमत होकर शिव
भगवान ने अर्धनारीश्वर का रूप धरा और सभी विशिष्ट प्राणियों को आशीर्वाद दिया।