यम विवस्वत (सूर्य) के पुत्र थे तथा संजना विश्वकर्मा की पुत्री थी।
यम की यमी नामक जुड़वाँ बहन थी।
यमी ही यमुना कहलाई। नश्वर यम मृत्यु के बाद पाताल लोक चले गए और वहाँ के राजा बन गए।
सूर्य की गर्मी और चमक बर्दाश्त न कर पाने के कारण संजना ने अपने बच्चों के जन्म के बाद सूर्य देव को छोड़ दिया।
उसने अपने एक अंश को छाया में बदल दिया।
छाया बिलकुल संजना की तरह लगती थी।
जाते समय उसने छाया से कहा, “मेरी जगह तुम ले लो और मेरे बच्चों का अच्छे से ख्याल रखना।"
छाया ने आश्वस्त करते हुए कहा, “जबतक मेरी सच्चाई का पता न चल जाए तब तक मैं यह करूँगी।”
शीघ्र ही छाया को सूर्य से मनु, शनि, ताप्ती और विष्टी नामक चार बच्चे हुए।
अब उसने यम और यमी का ख्याल रखना छोड़ दिया।
यम से यह सहन न हो सका।
क्रोध में यम ने छाया को लात मारी।
छाया ने उसे श्राप दिया, “यम, जिस पैर से तुमने मुझे मारा है वह सड़ेगा,
उसमें कीड़े पड़ेंगे।” शीघ्र ही यम का पैर सड़ने लगा।
विवस्वत ने समझाया,
“यम,
शिव की तपस्या करो... वही तुम्हें श्राप मुक्त करेंगे।" यम ने वैसा ही किया। शिव
ने उनकी बीमारी ठीक कर उन्हें आशीर्वाद दिया,
“अपने नैतिक आचरण के कारण तुम धर्मराज कहलाओगे।”