यम के श्रापित होने के पश्चात् विवस्वत ने छाया से जाकर पूछा,
“तुम कौन हो? संजना कहाँ है? उसकी जगह पर तुम क्यों हो?"
छाया से संजना की सच्चाई जानने के बाद विवस्वत ने उसे घर से निकाल दिया।
वे विश्वकर्मा के पास गए और संजना के विषय में जानना चाहा।
विश्वकर्मा ने कहा, “विवस्वत, अत्यधिक गर्मी के कारण उसने तुम्हें छोड़ दिया है...
वह एक अश्विनी के रूप में उत्तरकुरु में रहती है पर उससे वापस आने के लिए कहने का कोई लाभ नहीं है।"
“फिर मैं उसे कैसे राजी करूँ?”
“मैं तुम्हारी तेज़ गर्मी को, तुम्हारी शक्ति को, कम करने में तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ।"
इस प्रकार वैदिक काल के अभियंता और वास्तुकार विश्वकर्मा ने अपने औजार की सहायता से सूर्य की किरणों के
बाहरी भाग का आठवाँ हिस्सा काट दिया।
उस शक्ति को उन्होंने विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल, कुबेर का पुष्पक विमान बनाने में विभाजित कर दिया।
विवस्वत ने फिर संजना से मुलाकात की और उसे राजी कर घर ले आए