विष्णु की लीला

शंखचूड़ की सारी शक्ति ताबीज और उसकी पत्नी तुलसी में थी

देवलोक को शंखचूड़ से मुक्त कराने के लिए कोई उपाय आवश्यक था।

विष्णु ने लीला रची। वह ब्राह्मण का रूप धरकर शंखचूड़ के पास गए और याचना करते हुए कहने लगे,

"हे असुर राज! आप दान करने में भी महान् हैं...

मुझे आपकी दयालुता का पता है .... आप दीर्घायु होंगे...

मुझे अपना ताबीज़ दान में दे दें..."

पल भर भी सोचे बिना शंखचूड़ ने अपनी ताबीज़ ब्राह्मण को दे दी,

क्योंकि उसने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया था।

ताबीज मिलने के बाद ब्राह्मण वेषधारी विष्णु ने शंखचूड़ का रूप धारण किया और सीधे तुलसी (शंखचूड़ की पत्नी) के पास पहुँचे।

उन्होंने तुलसी को अपने विजय की सूचना दी।

पति को सामने देख तुलसी बहुत प्रसन्न हुई।

उन्होंने तुलसी को लुभाया और अपने पास बुलाया।

निष्ठावान तुलसी प्रसन्नतापूर्वक उसे अपना पति समझ शंखचूड़ के साथ चल दी।

उसी समय शिव ने हरि के दिए त्रिशूल से शंखचूड़ को मार गिराया।

कुछ समय बाद तुलसी को अपने

साथ हुए छल का पता चला तो वह रोने लगी।

उसने विष्णु को पाषाण बनने का श्राप दे दिया।

इसीलिए विष्णु शालिग्राम के रूप में पृथ्वी पर पूजित होते हैं।

उनके साथ तुलसी भी पूजी जाती है।