धरती पर तुलसी का जन्म

तुलसी का पवित्र पौधा देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।

तुलसी का अर्थ है 'अनूठा' या 'अद्वितीय'।

एक बार पुत्री की प्राप्ति के लिए राजा धर्मध्वज ने लक्ष्मी माता की कठोर तपस्या की।

देवी ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे महाभक्त!

तुम्हारी प्रगाढ़ तपस्या से मैं प्रसन्न हूँ...

मैं स्वयं तुम्हारी पुत्री के रूप में जन्म लूँगी।”

इस प्रकार तुलसी का जन्म हुआ।

एक राजकुमारी होने के पश्चात् भी वह सदा विष्णु भगवान की प्रार्थना में रत रहती थी।

उसकी सतत भक्ति को देखकर ब्रह्मा जी स्वयं प्रकट हुए।

तुलसी ने कहा, “हे ब्रह्मदेव! कृपया मुझे विष्णु भगवान के पास ले चलिए...

मैं अपने प्रभु की सेवा के लिए गोलोक जाना चाहती हूँ”

ब्रह्मा ने कहा, “विष्णु भगवान के पास जाने से पहले तुम्हें एक बड़ी ज़िम्मेदारी पूरी करनी है...

यहाँ धरती पर, तुम्हें शंख-चूड़ नामक असुर से विवाह कर उसे मुक्ति दिलानी है।”