त्रिमूर्ति की व्याख्या

ब्रह्मा विष्णु के भीतर छानबीन करने चले गए। वहाँ तीनों लोकों और प्रकृति का आकार

दिखा। उसका थाह पाना ही कठिन लगा।

विष्णु ने बाहर आने के सभी रास्ते बंद

कर दिए, जिससे ब्रह्मा निकल न सकें।

तब ब्रह्मा कमल की नाल से बाहर निकलकर कमल पर बैठ गए।

रास्ता बंद करने का कारण पूछने पर विष्णु ने कहा, कि अनंत ब्रह्म महेश्वर ही विधाता हैं।”

विष्णु और ब्रह्मा के विवाद को देख शिव अपना त्रिशूल लिए हुए वहाँ पहुँचे।

ब्रह्मा ने जिज्ञासापूर्वक शिव को देखकर विष्णु से पूछा, “अरे!

यह त्रिशूलधारी आगंतुक कौन हैं?" विष्णु ने ब्रह्मा से कहा,

“यह महादेव हैं। महादेव ने पहले मुझे बनाया फिर आपको..." "कैसे?"

ब्रह्मा के पूछने पर विष्णु ने विस्तारपूर्वक बताया, "उनके पास दिव्य शक्ति थी..

उन्होंने आपको सृष्टि की रचना का कार्य सौंपा, मुझे स्थिति और शिव ने अपने दो

अवतार रुद्र और महेश्वर में विनाश सँभाला।" शिव भगवान ने कहा, “हूँऽऽ...

ब्रह्मा आप मेरे दाहिने हाथ हैं और विष्णु मेरे बाएँ।

आप दोनों सदा साथ रहने वाले मेरे ही अंग से उत्पन्न हुए हैं।"

त्रिमूर्ति तथा उनके

कार्य को समझाने के लिए ब्रह्मा ने शिव को नमन किया।