चूहे और कौए की दोस्ती

हितोपदेश की नैतिक कहानी - चूहे और कौए की दोस्ती

कौआ इस कहानी को सुन , चूहे के मुंह की ओर देखता हुआ बोला : " अरे भाई चूहे ।

तुम स्वयं ही बताओ कि यदि मैं तुम्हें खा भी लूंगा तो मेरा क्या बनेगा !

हां , यदि तुम्हें मैं दोस्त बना लूंगा तो हो सकता है उस हिरण की भांति तुम्हारे दुःख में कभी काम आ जाऊं ,

और उस कबूतर राजा की भांति कभी तुम मुझे दुःखों के बन्धनों से मुक्त करवा दो ।

" कहा गया है कि पुण्य करने वाले पक्षियों में भी आपसी विश्वास होना चाहिए ।

जो अच्छे स्वभाव के होते हैं वे कभी अपना धर्म नहीं छोड़ते ।

यदि साधु स्वभाव के लोगों को गुस्सा आ जाए तो उनके मन में विकार नहीं आता ,

घास - फूस की आग कितनी भी तेज क्यों न हो उससे सागर का पानी गर्म नहीं हो सकता ।

" चूहा कहने लगा , “ अरे भाई कौए , तुम हो चंचल स्वभाव के । ऐसे प्राणी से मित्रता नहीं निभ सकती ।

कहते हैं बिलाब , भैंसा , मेढ़ा , कौआ और बुजदिल इन पर विश्वास करने वाला सदा धोखा खाता है ।

" यह भी कहा गया है कि चूहों और कोओं में पिछले जन्मों से ही दुश्मनी चली आ रही है ।

अब तुम स्वयं ही बताओ कि हमारी तुम्हारी मित्रता निभेगी तो कैसे ?

" विद्वान् यह भी कहते हैं कि शत्रु के साथ चाहे कितनी भी मित्रता हो जाए ,

उस पर पूरा भरोसा नहीं करना चाहिए , क्योंकिः " उबलता हुआ पानी चाहे आग की भांति ही गर्म क्यों न हो , फिर भी आग के ऊपर पड़कर उसे बुझा देता है ।

" इसीलिए कहता हूं कि मूर्ख प्राणी चाहे कितना भी पढ़ जाएं , उससे दूर रहना ही अच्छा ।

“ मणि से सुशोभित होने पर भी सांप से दोस्ती करने पर मौत के सिवा कुछ न मिलेगा ।

" जो नहीं हो सकता उसका होना वैसे ही असम्भव है जैसे जल पर रथ का चलना और धरती पर नाव चलाना ।

" यह भी कहा गया है कि कितना ही बड़ा काम रुक गया हो , जो अपने दुश्मन और विरोध में उतरी पत्नी पर भी विश्वास कर ले समझो उसकी मौत दूर नहीं ।

" “ अरे यार चूहे ! यह सब लफ्फाजी मैंने लोगों के मुंह से बहुत सुन रखी है , मेरा तो यह अंतिम फैसला है कि मैं तुमसे ही मित्रता करूंगा ,

और तुम मुझसे मित्रता नहीं करोगे तो मैं यहीं पर भूखा , प्यासा जान दे दूंगा ।

तुमने भी सुना होगा कि बुरे लोगों की मित्रता उस कच्चे घड़े के समान होती है , जो टूट तो बड़े आराम से जाता है ,

किन्तु उसे जोड़ने का कोई भी उपाय नहीं हो सकता ।

इसके विपरीत , अच्छे लोगों की संगत सोने के मटके की भांति होती है , जो पहले तो टूटता ही नहीं , हां , यदि टूट जाए तो आसानी से दुबारा बनाया जा सकता है ।

" और अच्छे लोग , नारियल की भांति ऊपर से सूखे और पत्थर की भांति होते हैं ,

जबकि दुर्जन बेर की भांति ऊपर से सुन्दर और अन्दर से पत्थर की तरह कठोर होता है ।

इसलिए भले लोगों की दोस्ती ही मांगी जाती है ।

" तभी तो लोग कहते हैं कि यदि साधुओं का प्यार न भी मिले उनके गुणों में बुराई नहीं आती ।

कमल का नाल टूट जाने पर भी उसके अंदर की नली में गूदे उसी समय अलग नहीं होते ।

" यह भी कहा गया है कि पवित्रता , दानशीलता , बहादुरी , सुख - दुःख में बराबरी , अनुराग , सत्य यही सब गुण अच्छे सच्चे मित्र में पाए जाते हैं ।

" यही सब गुण तुममें हैं ।

मुझे पता है कि तुम्हारे जैसा गुणी मित्र मुझे कभी नहीं मिलेगा ।

" कौए की बातें सुनकर चूहे का मन पिघल गया , उसे यह विश्वास हो गया कि वास्तव में ही यह कौआ उससे सच्चे दिल से मित्रता करना चाहता है ।

वह अपने बिल से बाहर आ गया और कौए से बोला : " तुम्हारी बातों ने मेरा मन जीत लिया है ।

आज से मैं तुम्हें अपना दोस्त मानता हूं ।

मुझे पूर्ण आशा है कि तुम भी इस दोस्ती को उसी भांति निभाओगे जैसे मेरी और कबूतर राजा की निभती रही है ।

हमारी मित्रता एक आर्दश मित्रता होगी , इस जंगल में रहते हुए एक - दूसरे के दुःख - सुख के साथी रहेंगे ।

भले लोग जो मुंह से कहते हैं वह करके दिखाते हैं ।

खोटे आदमी के मन में तो पाप होता है , उसके होंठों पर कुछ और मन में कुछ और होता है ।

भले लोग ऊपर और अन्दर से एक ही जैसे लगते हैं , जो उनके मन में होता है वही बोलते हैं , वही करते हैं ।

" यह कहकर चूहे ने कौए से मित्रता गांठ ली और अपने बिल में से तरह - तरह के मजेदार खाने निकालकर उसे खिलाए ।

थोड़ी देर के

पश्चात् कौआ वहां से उड़ गया ।

चूहा अपने बिल में घुस गया ।

उस दिन के पश्चात् दोनों मित्र रातों को इकट्ठे बैठकर अपने दुःख - सुख कहते , इकट्ठे ही खाना खाते , दिन में भी घूमने निकल जाते ,

जंगल में उनकी दोस्ती को देख दूसरे भी पक्षी हैरान होते थे ।

एक दिन कौए ने चूहे से कहा , " मित्र , इस जंगल में खाने - पीने की निरन्तर कमी होती जा रही है ,

इसलिए मैं यह स्थान छोड़कर कहीं दूसरे स्थान पर घर बनाने जा रहा हूं ।

" " अरे भाई , तुम यह क्या कह रहे हो ?

क्या तुम्हें पता नहीं कि दांत , बाल , नाखून और आदमी यदि अपने स्थान से उखड़ जाएं तो अपनी शोभा खो बैठते हैं ,

इसलिए तुम सोच - समझकर अपना ठिकाना बदलो ।

" चूहे ने उसे समझाया । कौआ हंसकर बोला , " अरे यार , तुम तो बुजदिलों वाली बातें कर रहे हो ।

क्या तुम्हें नहीं पता कि मित्र , शेर और हाथी अपने ठिकाने से दूर जाकर ही अपने लिए खाना - पीना ढूंढते हैं ! “

यह भी कहते हैं कि बहादुरों के लिए जैसा देश वैसा ही परदेश , वे जहां भी जाते हैं अपने लिए खाना पैदा कर लेते हैं ।

दांत , नाखून और दुम इनके बल पर ही शेर जंगल - जंगल दहाड़ता है ।

" " खैर , छोड़ो इस विवाद को , पहले तो तुम यह बताओ कि जा कहां रहे हो ?

बुद्धिमान् प्राणी अपना एक पांव जमाकर ही दूसरा उठाता है ।

“ आगे की जगह जांच - परखकर ही पहली जगह छोड़नी चाहिए । "

,

कौआ बोला , " प्रिय मित्र , मैं पहले ही अपने लिए एक स्थान देख चुका हूं ।

" " कौन - सा स्थान है ?

क्या मुझे नहीं बताओगे ... " " क्यों नहीं बताऊंगा ?

क्या तुम सोच सकते हो कि मैं अपने मित्र से भी चोरी करूंगा ? नहीं ... नहीं .. नहीं ... मित्र , ऐसा नहीं हो सकता ,

मैं तुम्हें बताए बिना नहीं जाऊंगा ।

“ हां सुनो , यहां से थोड़ी ही दूरी पर एक बड़ी सुन्दर झील है ।

उस झील में मेरा एक मित्र कछुआ रहता है , वह बहुत भला और

धार्मिक विचारों वाला है ।

मैं जैसे ही उसके पास जाऊंगा वह दुनिया - भर के पदार्थ मेरे लिए इकट्ठे कर लाएगा ।

वह तो ऐसा मित्र है जो स्वयं भूखा रहकर भी मुझे खिलाएगा ।

अब जब इस स्थान पर खाने को ही नहीं रहा तो हम यहां रहकर भी क्या करेंगे ?

" चूहे ने जैसे ही अपने मित्र के मुंह से यह बात सुनी तो उसने भी सोचा , अब मैं अकेला ही यहां पर रहकर क्या करूंगा ।

" जिस देश में खाने को न मिले , जहां कोई मित्र न हो , न ही सीखने - समझने का कोई अवसर मिले उस देश को छोड़ देना ही अच्छा ।

विद्वानों ने कहा है , धनवान , वैदिक धर्म में विश्वास रखने वाला पंडित , प्रजापालक राजा , साफ जल की नदी और गुणी हकीम वैद्य जहां पर यह सब नहीं वहां पर रहना ठीक नहीं ।

जीने

" रहना वहीं पर चाहिए जहां पर ये पांचों मिल सकेंः

1 जीने के लिए रोजगार ,

2. कानून का डर ,

3. शर्म और इज्जत ,

4. अच्छे साफ मन के लोग ,

5. एक - दूसरे के लिए त्याग करने वाले साथी ।

" यदि साहूकार , वैद्य , पूजा - पाठ करने वाला पंडित और जल साधन , ये चारों चीजें न हों वहां पर रहना उचित नहीं है ,

इसलिए अब मैं भी यहां पर अकेला न रहकर तुम्हारे साथ ही चलूंगा , क्या तुम मुझे अपने साथ ले चलोगे ? " कौए ने हंसकर कहा , “ क्यों नहीं , यह तो मेरा सौभाग्य है कि तुम जैसा मित्र मेरे साथ चल रहा है । "