हितोपदेश की कहानियां - एक और नया मित्र
एक बार एक डर का मारा हिरण तेजी से भागता हुआ उस झील में आ घुसा ।
उसे देख चूहा अपने बिल में घुस गया ।
कछुआ पानी में जा छुपा , कौआ ऊंचे वृक्ष पर बैठ कांव - कांव करता हुआ चारों ओर देखने लगा ।
उसकी आवाज सुनते ही बहुत - से कौए इकट्ठे हो
गए ।
कछुए ने पूछा , " अरे भाई , भले प्राणी , अब तुम क्यों डर रहे हो ,
शांति से पानी पीओ और थोड़ी देर विश्राम करो , फिर जंगल की ओर चल दो । "
" भैया ! मैं शिकारी के डर से भागा हूं ।
इस जंगल में मेरा कोई साधी नहीं , कोई मित्र नहीं ।
इसलिए तुम मुझे अपना मित्र बना लो ।
बड़े लोग कह गये हैं कि अकेला तो वृक्ष भी जंगल में बुरा होता है ।
" चूहा उस हिरण की ओर देखकर बोला , " भैया , तुम्हारे साथ मित्रता वैसे ही हो गई है ।
मित्र चार तरह के होते है " १. अपनी औलाद , २. सम्बन्धी ३. पति कुल के साथ जुड़े रिश्ते ४. दुःखों में साथ देने वाले
अब तुम हमारे पास आ ही गये हो तो हमें अपना मित्र ही समझो ।
इसे अपना घर समझो । " उसकी बातों से हिरण के दुःखी मन को कुछ शांति मिली ।
उसका डर किसी हद तक दूर हो गया था ।
वह उस बड़े वृक्ष की छाया में बैठ आराम करने लगा ।
कौए ने हिरन के पास बैठते हुए पूछा , " अरे भाई हिरण सच बताओ , तुम्हें डर किस चीज का है ?
क्या इस जंगल में भी शिकारी आ जाते हैं ?
" " हां , भैया , अब इस जंगल में भी शिकारी आ गये हैं ।
पास ही गंगा नदी के तट पर मगध का राजा तंबू गाड़े हुए है ।
अल सुबह ही वह कर्पूरी सरोवर पर आएगा ।
इसलिए मेरे विचार में यहां भी रहना ठीक नहीं ।
" हिरण की बात सुनते ही कछुआ झट से बोला , " यदि यह बात है भैया , तो यहां रहना भी खतरे से खाली नहीं ।
यदि हमें अपनी जान बचानी है तो हमें यहां से भाग जाना चाहिए ।
अब यही बचने का एकमात्र रास्ता है ।
" " हां ... हां ... यही ठीक है भैया , नहीं तो शिकारी हमें नहीं छोड़ेगा ।
" कछुए की बात सुन कौए और चूहे ने हां में हां मिलाई , “ लेकिन भैया ,
एक बात मेरी समझ में नही आ रही कि ... " " क्या ?
" कछुए ने चूहे को चिंतित देखकर पूछा ।
" भैया , तुम तो किसी दूसरे सरोवर में जाकर छुप जाओगे , कौआ किसी वृक्ष पर अपना घर बना लेगा ,
लेकिन मेरा काम तो नया घर बनाने से ही चलेगा ।
मेरा घर ( बिल ) बनाने में तो समय लगता है ,
क्योंकि जलजन्तुओं का घर पानी है , सैनिकों की शक्ति है किले में ,
राजाओं की शक्ति उनकी सेना है ।
" अब हमें कोई रास्ता निकालना ही चाहिए ।
बड़े लोगों ने कहा है , हर बात को गंभीरता से सोचना चाहिए ।
हर कष्ट का उपाय है । हर दुख का अन्त होता है ।
हां , जरा बुद्धि की जरूरत है ।
जिसके पास बुद्धि है उसके पास सब कुछ है ।
इसी बुद्धि की शक्ति से तो उस चालाक गीदड़ ने उस शक्तिशाली हाथी को कीचड़ में फंसाकर
मार डाला था । "
" क्या कहा ? क्या गीदड़ ने हाथी को मार डाला ?
" सबके सब उस चूहे की ओर आश्चर्य से देखने लगे थे ।
" हां , मैं तुम्हें उस गीदड़ की कहानी सुनाता हूँ । "