गीदड़ का कमाल

हितोपदेश की कहानियां - गीदड़ का कमाल

एक घने जंगल में बड़ा बलवान् हाथी रहता था । उस हाथी से सारे जंगली जानवर डरते थे ।

विशेष रूप से गीदड़ यह सोचते थे कि किसी तरह से यह हाथी मर जाए तो हमारे लिए रास्ता साफ हो सकता है ।

गीदड़ों का एक सरदार था ।

उसने सब गीदड़ों की एक सभा बुलाई और घोषणा की कि देखो मित्र ,

यह हाथी जब तक इस जंगल में रहेगा तब तक हमें कोई शिकार नहीं मिलेगा ।

इसीलिए मैं एक तो बूढ़ा हूं . दूसरे तुम्हारा सरदार हूं , मैं अपनी बुद्धि से इस हाथी को ठिकाने लगाकर रहूंगा ।

" ठीक है , सरदार , हम आपके साथ हैं ।

" सभी गीदड़ एक साथ बोले ।

बस , फिर क्या था ।

वह बूढ़ा गीदड़ सीधा उस हाथी के पास पहुंचा और जाकर उसे प्रणाम किया और बोला , " देखो देव , जरा मुझपर कृपा दृष्टि करो । "

" तुम कौन हो ? ... कहां से आए हो , क्या काम है मुझसे ... ?

हाथी क्रोध से बोला ।

“ महाराज , मैं गीदड़ हूं , सब जंगल के जानवरों ने मिलकर मुझे आपके पास भेजा है । "

" क्यों भेजा है ? "

“ महाराज , जंगल के जानवरों का कहना है कि हमारे जंगल का कोई राजा नहीं और राजा के बिना राज नहीं चल सकता ।

क्योंकि इस जंगल में आपसे बड़ा शक्तिशाली और कोई जानवर नहीं ,

इसलिए सबने मिलकर यही निर्णय किया है कि आपको राजा बनाएंगे ,

क्योंकि शास्त्रों में उसी को राजा योग्य माना गया है ।

" जो बहादुर हो , प्रतापी हो , धार्मिक विचारों का हो , राजनीति जानता हो ।

राजा के न होने से प्रजा की कोई भी देखभाल नहीं कर सकता ।

प्रजा तो विधवा स्त्री की भांति हो जाती है ।

शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि राजा का प्रजा के लिए बादलों की भांति महत्त्व होता है ।

परंतु बादल न भी बरसे तो भी गुजारा हो सकता है ।

मगर राजा के बिना जीना कठिन है ।

" यह भी कहा गया है कि दुनिया में काम , क्रोध , लोभ , मोह जैसी भावनाओं में बहकर लोग न जाने क्या - क्या उत्पात मचा देते हैं ।

मगर राजदंड के डर से ही चुप साध लेते हैं ।

साधु स्वभाव के लोग तो शायद ही कहीं देखने को मिले ।

बात है भी सही रोगी , विक्लांग , निर्बल पति की सेवा कौन पत्नी करती है , यदि उसे समाज और मान - हानि

के दंड का भी डर न होता !

" इसलिए लग्न का समय निकल जाने से पहले आपको राजगद्दी पर बैठने के लिए पहुंच जाना चाहिए ।

" यह कहकर बूढ़ा गीदड़ वहां से चल निकला ।

राजा बनने के लालच में हाथी अंधा हो गया था ।

वह वहां से उठा और गीदड़ के पीछे चल पड़ा ।

वह मन ही मन में खुश हो रहा था ।

साथ ही साथ इस गीदड को भी बड़ा अच्छा समझ रहा था जिसने उसे राजा बनने की सलाह दी

और जंगली जानवरों से उसे राजा बनाने के लिए कहा ।

गीदड़ के पीछे चलते - चलते हाथी एक गहरे कीचड़ में फंस गया ।

यहां से निकलने के जितने भी प्रयत्न उसने किए वे सबके सब बेकार रहे दूर खड़ा बूढ़ा गीदड़ जोर जोर से हंस - हंसकर कह रहा था :

" क्यों भैया , बन गये राजा ।

आपने इस जंगल के जानवरों पर घोड़े अत्याचार किए हैं ।

अब तो उन पापों का फल भोगो ।

पापी एक दिन तो अपने जाल में फंसता ही है ।

यह तो मेरी बुद्धि थी कि तुम्हारे जैसे खूनी हाथी को कीचड़ में फंसा दिया ।

" इस प्रकार यह खूनी हाथी कीचड़ में फंसकर मर गया ।