चालाक कौआ

चालाक कौआ

किसी वृक्ष पर एक कौआ का जोड़ा रहता था ।

उसी पेड़ की जड़ में एक काला सांप रहता था

, वह सांप , कौए के अंड़ों को चोरी से खा जाता , वे बेचारे रोते रह जाते ।

एक बार कौए की पत्नी जैसे ही अंडे देने वाली हुई तो उसने अपने पति से कहा , “ स्वामी , यह काला सांप हमारे अंडे को नहीं छोड़ेगा ।

इस प्रकार हम सारी उम्र बिना औलाद के ही रह जाएंगे ।

जिस घर कुलटा पत्नी हो , पापी मित्र हो , आमने - सामने जवाब देने वाला नौकर हो या सांप हो ,

उस घर में सदा जान को खतरा बना रहेगा ।

" कौए ने अपनी पत्नी की बात सुनकर कहाः " भाग्यवान , तुम घबराओ मत ।

में बहुत दिनों से इस पापी सांप को देख रहा हूं ।

अब मैं इस सांप को कभी क्षमा नहीं करूंगा ।

" " नाथ , आप इस काले नाग से कैसे टक्कर ले लोगे ! इसके इसने से तो पत्थर भी टूट जाता है । "

“ भाग्यवान् , तुम इस बात की जरा - सी भी चिंता मत करो ।

इस संसार में बुद्धि की शक्ति सबसे अधिक है , बुद्धिहीन शक्ति रखते हुए भी कमजोर होता है ।

तुमने उस खरगोश की कहानी नहीं सुनी जिसने अपनी बुद्धि से खूनी शेर को मौत के मुंह में धकेल दिया था ।

" " यह आप क्या कह रहे हैं नाथ ?

" “ वही , जो एक कठोर सत्य है , जिस पर बहुत कम लोग विश्वास करेंगे ।

" " क्या आप मुझे उस खरगोश की कहानी नहीं सुनाओगे ? "

" क्यों नहीं सुनाऊंगा , बुद्धिमान् की कहानी सुनकर तो बहुतों का भला होगा ।

बहुतों में नई शक्ति आएगी । " लो सुनो , उस खरगोश की कहानी । "