बुरे के साथ का बुरा नतीजा

हितोपदेश की कहानियां

हमारे साथ वाले जंगल में एक पेड़ पर एक कौआ और हंस रहते थे ।

एक बार गर्मी के मौसम में एक शिकारी थका - हारा उस पेड़ के नीचे अपना तीर - कमान रखकर वहीं पर सो गया ।

थोड़ी देर के पश्चात् शिकारी पर से वृक्ष की छाया हट गई ।

पेड़ पर बैठे हंस ने जैसे ही राही को धूप में पड़े देखा तो उसे उस पर दया आ गई ।

हंस ने शिकारी को धूप से बचाने के लिए सूर्य के आगे अपने पंख फैला दिए ।

कोए की आदत है , वह सदा अपना सुख देखता है , उसने वृक्ष के नीचे सुख से सोए मुसाफिर को देखा तो

उसके मुंह पर बीट कर दी और स्वयं वहां से उड़ गया ।

बीट मुंह पर पड़ते ही राही झट से उठ बैठा ।

' उस शिकारी ने वृक्ष पर अपने सामने पंख फैलाए हंस की ओर देखा तो उसने समझा कि इसी ने मेरे मुंह पर वीट की है ।

बस , फिर क्या था , उसने अपनी कमान पर तीर चढ़ाया और हंस के सीने से पार कर दिया ।

“ इसलिए मैं कहता हूं कि बुरे प्राणी से दूर ही रहना चाहिए ।

अब एक और बुरे की कहानी सुनिए । "