हमारे साथ वाले जंगल में एक पेड़ पर एक कौआ और हंस रहते थे ।
एक बार गर्मी के मौसम में एक शिकारी थका - हारा उस पेड़ के नीचे अपना तीर - कमान रखकर वहीं पर सो गया ।
थोड़ी देर के पश्चात् शिकारी पर से वृक्ष की छाया हट गई ।
पेड़ पर बैठे हंस ने जैसे ही राही को धूप में पड़े देखा तो उसे उस पर दया आ गई ।
हंस ने शिकारी को धूप से बचाने के लिए सूर्य के आगे अपने पंख फैला दिए ।
कोए की आदत है , वह सदा अपना सुख देखता है , उसने वृक्ष के नीचे सुख से सोए मुसाफिर को देखा तो
उसके मुंह पर बीट कर दी और स्वयं वहां से उड़ गया ।
बीट मुंह पर पड़ते ही राही झट से उठ बैठा ।
' उस शिकारी ने वृक्ष पर अपने सामने पंख फैलाए हंस की ओर देखा तो उसने समझा कि इसी ने मेरे मुंह पर वीट की है ।
बस , फिर क्या था , उसने अपनी कमान पर तीर चढ़ाया और हंस के सीने से पार कर दिया ।
“ इसलिए मैं कहता हूं कि बुरे प्राणी से दूर ही रहना चाहिए ।
अब एक और बुरे की कहानी सुनिए । "