बहुत दिन पहले एक तालाब में तीन मच्छों ने मिलकर विचार किया था ।
उनमें से एक ने कहा था कि मैं तो दूसरे तालाब में जा रहा हूं ।
यह कहकर वह दूसरे तालाब में जा बसा ।
दूसरा मच्छ बोला , " अरे भाई , अभी कोई मुसीबत सिर पर थोड़े ही आई है ,
अभी तो केवल डर ही है ।
डरकर क्या भागना ! जब मुसीबत सिर पर ही आएगी तो देखेंगे क्या होता है ।
समय से पहले डरकर भागना बुज़दिली है ।
बहादुर लोग मुसीबत से डरकर भागते नहीं बल्कि जिंदादिली से उसका मुकाबला करते हैं ।
तुमने उस बनिए की पत्नी की कहानी नहीं सुनी जिसने भेद खुल जाने पर अपने प्रेमी को अपने पति के हाथों से बचा लिया था ।
" तीसरे मच्छ ने अपने साथी के मुंह से यह बात सुनी तो संभलकर बैठते हुए पूछाः
" वह कैसे ? "
" हां , दोस्त , आज इस बुज़दिल कछुए को देखकर उस बनिये की कहानी याद आ गई है ।
लो तुम भी सुनो और फिर सोचो कि इस संसार में क्या कुछ होता है । "