महेश दास और पर्वत

आगरा के एक गाँव में एक दिन एक विशालकाय भारोत्तोलक आया।

उसने अपने सिर पर पाँच सौ किलो वजन उठा लिया और अपने कारनामों से लोगों को आकर्षित करने लगा ।

उसे देख लोग रोमांचित हो उसका उत्साह बढ़ाने लगे ।

तभी महेशदास नामक एक शरारती बालक ने सामने आकर कहा, 'अरे!

यह क्या है... मैं तो पर्वत को अपने कंधों पर उठा सकता हूँ।

पर मुझे स्वयं को तैयार करने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन और तीन माह का समय चाहिए।

गाँव वाले राजी हो गए और महेश को घी, मक्खन युक्त अच्छा " भोजन मिलने लगा।

तीन माह बाद गाँववासी महेश का कारनामा देखने के निर्धारित दिन सभी लिए एकत्रित हुए ।

महेश पर्वत के पास जाकर खड़ा हो गया।

गाँव के मुखिया ने कहा, “किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो ?"

“पहाड़ को उठाकर मेरे कंधों पर रखने के लिए आप अपने आदमियों को कहिए। "

मुखिया ने पूछा, " पर्वत को कौन उठाएगा ?"

शांत भाव से महेश ने कहा, "उसका निर्णय आप करें। "