अकबर के दरबार में एक दिन एक दरबारी ने कहा, “महाराज !
मेरी समझ से बीरबल बुद्धिमान नहीं है।
पर हाँ, यदि वह मेरे प्रश्नों का सही उत्तर दे दे तो मैं उसकी बुद्धिमता को मान लूँगा।”
अकबर सहमत हो गए।
उन्होंने बीरबल से कहा कि यदि उसने प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दिए तो वह दंड का अधिकारी होगा।
दरबारी ने तीन प्रश्न पूछे:-
1. आकाश में कितने तारे हैं?
2. धरती का मध्य कहाँ है?
3. संसार में कितने स्त्री और पुरुष हैं?
बीरबल तुरंत एक भेड़ लेकर आया और बोला, “आकाश में उतने ही तारे हैं जितने इस भेड़ के शरीर पर बाल हैं।
" फिर बीरबल ने धरती पर दो रेखाएँ खींची और उनके बीच एक लोहे की सरिया रखकर उसे ही धरती का मध्य (केन्द्र) बताया।
तीसरे प्रश्न के उत्तर में बीरबल ने कहा, “पुरुष और स्त्री की
सही संख्या तो बतानी ज़रा कठिन है क्योंकि दरबारी जैसे नमूने तो दोनों में से किसी भी वर्ग में नहीं आते हैं।”
शर्मिन्दा हुए दरबारी ने बीरबल से क्षमा-याचना की।