एक दिन एक व्यक्ति ने अकबर के दरबार में जाकर कहा कि
हसन नामक एक गरीब व्यक्ति ने उसका गले का हार चुरा लिया था।
अकबर ने पूछा, “तुम्हें कैसे पता कि हसन ने चुराया है?” “मैंने हसन
को हार चुराते देखा था।
" किन्तु हसन ने बार-बार यही कहा, "नहीं श्रीमान्, मैंने हार नहीं
चुराया।" उस व्यक्ति ने कहा, “यदि तुमने हार नहीं चुराया तो तुम्हें प्रमाण देना पड़ेगा।
लोहे की गरम सरिया को तुम्हें अपने हाथों से पकड़ना होगा।
यदि तुम्हारा हाथ नहीं जलेगा तो तुम्हें निर्दोष माना जाएगा और यदि तुम्हारा हाथ जलेगा तो चोरी तुमने ही की है।
" हसन ने कहा, "कृपया मुझे एक दिन का समय दें, मैं हार फिर से ढूँढ़ता हूँ।"
हसन भागा-भागा बीरबल के पास सलाह लेने गया।
अगले दिन बीरबल की सलाह पर हसन ने कहा, “महाराज, मैं प्रमाणित करने के लिए तैयार हूँ पर पहले इन्हें यह परीक्षा देनी होगी।
यदि इनकी बातों में सच्चाई है तो गर्म सरिए से इनके हाथ भी नहीं जलने चाहिए।
" यह सुनकर वह व्यक्ति डर गया।
उसने कहा, “एक बार मुझे फिर से देख लेने दीजिए।
संभव है हार मेरे घर के किसी कोने में गिर गया हो।
" यह कहकर महाराज का अभिवादन कर वह भाग खड़ा हुआ।