किसान का कुआँ

एक गरीब किसान ने अपने समृद्ध पड़ोसी से एक कुआँ खरीदा।

कुआँ बेचने के बाद भी समृद्ध व्यक्ति उसका जल प्रयोग करता रहा।

गरीब किसान को बहुत क्रोध आया।

उसने अकबर को जाकर अपनी समस्या बताई।

किसान की समस्या सुनने के बाद अकबर ने उस समृद्ध व्यक्ति से पूछा, “कुआँ बेचने के बाद भी तुम उस पानी का उपयोग क्यों कर रहे हो?"

समृद्ध व्यक्ति ने उत्तर दिया, “महाराज, मैंने तो केवल कुआँ बेचा है उसके भीतर का पानी नहीं बेचा है।"

अकबर दुविधा में पड़ गए।

इस समस्या का निदान उन्हें समझ नहीं आ रहा था।

उन्होंने बीरबल से सहायता ली।

बीरबल ने समृद्ध व्यक्ति से कहा, “तुमने किसान को कुआँ बेचा है पर पानी नहीं, क्या यह सच है?"

उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “जी श्रीमान्! यह सच है।

" “हूँऽऽ.. ऐसी स्थिति में, अपना जल कुएँ में रखने का किराया तुम्हें किसान को देना पड़ेगा," बीरबल ने कहा ।

समृद्ध व्यक्ति समझ गया कि वह फँस गया है।

यहाँ उसकी दाल नहीं गलेगी उसने किसान से क्षमा-याचना की और चुपचाप चला गया।