एक बार कुछ ईर्ष्यालु दरबारियों ने बीरबल से मुक्ति पाने के लिए एक कुटिल योजना बनाई।
उस योजना में उन्होंने अपने शाही नाई को शामिल किया।
नाई ने अकबर से कहा कि पूर्वजों का कुशल-मंगल जानने के लिए लोगों को स्वर्ग भेजने का उपाय उसे पता है।
पर उस व्यक्ति को चतुर होना आवश्यक है और बीरबल इस कार्य के लिए उपयुक्त रहेगा।
बीरबल को इस योजना का पता चलने पर उसने अकबर से कुछ पैसे और परिवार की व्यवस्था करने के लिए एक माह का समय माँगा।
एक माह के बाद बीरबल को स्वर्ग भेजने के लिए चिता सजाई गई और अन्त्येष्टि के लिए बीरबल को लाया गया।
इधर दरबारी प्रसन्न हो रहे थे उधर बीरबल चिता के नीचे बनाई गई सुरंग से निकलकर अपने घर चला गया।
वह तब तक अपने घर में रहा जब तक उसकी दाढ़ी और बाल बढ़ न गए।
कई माह बाद बीरबल, अकबर से मिलने गया। उसने
बताया कि पूर्वज स्वर्ग में अति प्रसन्न हैं बस उन्हें एक छोटी-सी समस्या है।
वहाँ कोई
नाई न होने से उनकी दाढ़ी और बाल मेरी ही तरह खूब लम्बे हो गए हैं।
यह सुनकर अकबर ने शाही नाई को स्वर्ग भेजने का निश्चय कर लिया।
नाई को इस बात का पता चलते ही वह राज्य से ही भाग खड़ा हुआ।