आधा इनाम

एक बार महेश दास राजा अकबर से मिलने गया ।

महल के द्वार के पहरेदारों ने उससे पूछा, “तुम्हें राजा से क्या काम है?”

“महाराज ने मुझे बुलाया है, " महेश ने कहा । "

ठीक है, तुम जा सकते हो पर तुम्हें अपने इनाम का आधा भाग मुझे देना पड़ेगा,” पहरेदार ने कहा ।

महेश सहमत हो गया।

कुछ माह पूर्व अकबर जंगल में रास्ता भटक गया था तब महेश ने ही उन्हें बाहर निकलने का रास्ता दिखाया था।

अकबर ने तुरंत महेश को पहचान लिया और उससे पूछा, "इनाम में तुम क्या चाहते हो?"

महेश ने कहा " पचास कोड़े । "

कारण पूछने पर महेश ने कहा कि इनाम मिलने के बाद वह बताएगा ।

पच्चीस कोड़े खाने के बाद महेश ने सिपाहियों को रोका और द्वार पर खड़े पहरेदार को बुलवाया।

इनाम पाने की लालसा से पहरेदार बहुत प्रसन्न हो रहा था।

महेश ने कहा, " इस पहरेदार ने मुझे आधा इनाम देने के लिए कहा था,

अतः अब शेष पच्चीस कोड़े इसे लगाए जाएँ।"

इस प्रकार पहरेदार को पच्चीस कोड़े खाने पड़े।

अकबर ने महेश को अपना मंत्री नियुक्त कर लिया और वह बीरबल कहलाया ।