सर्दी का दिन था।
अकबर ने घोषणा की, “ सरोवर के ठंडे पानी में, जो व्यक्ति सारी रात खड़ा रहेगा
उसे एक हज़ार सोने की अशर्फ़ियाँ पुरस्कार में दी जाएँगी।
" एक गरीब व्यक्ति ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।
अगले दिन अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा कि बर्फ़ीले पानी में आखिर रातभर वह कैसे खड़ा रहा?
उस व्यक्ति ने कहा, “ठंडे से अपना ध्यान हटाकर मैंने सड़क पर जल रही बत्ती पर अपना ध्यान टिका रखा
था।” यह सुनकर अकबर ने क्रोधित होते हुए कहा कि इस व्यक्ति ने धोखे से चुनौती पूरी की है,
अतः यह पुरस्कार का अधिकारी नहीं है।
यह सुनकर उस व्यक्ति ने बीरबल से सहायता माँगी।
अगले दिन बीरबल समय पर दरबार में नहीं आया।
कारण जानने के लिए अकबर उसके घर गया।
अकबर ने बीरबल को ज़मीन पर बैठा देखा।
पास में ही आग जल रही थी और आग से पाँच फीट ऊपर एक हड़िया में खिचड़ी टंगी हुई थी।
अकबर ने पूछा, “आग से हड़िया इतनी दूर है, तो भला खिचड़ी कैसे पकेगी?"
बीरबल ने कहा, "ठीक उसी तरह जैसे गरीब व्यक्ति को सड़क पर जल रही बत्ती से गर्मी मिली थी ।
" अंतत: अकबर को अपनी भूल का एहसास हो गया और उन्होंने उस गरीब व्यक्ति को पुरस्कृत किया ।