एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा कि राज्य में कितने अंधे लोग रहते हैं।
बीरबल ने यह बताने के लिए एक सप्ताह का समय माँगा।
अगले दिन बाज़ार में बीरबल को जूते बनाते देखकर लोग अचंभित रह गए।
जो भी उसे देखता, उससे पूछता, “बीरबल, तुम क्या कर रहे हो?”
बीरबल बिना उत्तर दिए हुए अपनी पुस्तिका में कुछ लिख लेता था।
दो दिनों के बाद अकबर स्वयं बाज़ार से गुजरे।
अपने प्रिय मंत्री को जूते बनाता देख आश्चर्यचकित हो उन्होंने पूछा, “बीरबल, तुम यह क्या कर रहे हो?"
बीरबल ने तुरंत अपनी पुस्तिका निकाली और उसमें कुछ लिख लिया।
एक सप्ताह के बाद बीरबल ने अकबर को राज्य के अंधों की सूची दी।
उस सूची में अपना नाम सबसे ऊपर देखकर अकबर विस्मित रह गया।
“बीरबल, यह क्या मज़ाक है?"
बीरबल ने उत्तर दिया, “महाराज, अन्य लोगों की तरह आपने भी मुझे जूते बनाते देखा फिर भी आपने पूछा कि मैं क्या कर रहा था।
इसलिए मैंने आपका नाम भी इस सूची में लिख दिया था।
" बीरबल का उत्तर सुनकर अचानक अकबर ठहाका मारकर हँस पड़े।
दरबार में उपस्थित सभी लोग बीरबल की हास्यवृत्ति की प्रशंसा करने लगे।