एक दिन की बात है, दरबार के मंत्री अकबर के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
लम्बी प्रतीक्षा के बाद अकबर
ने आकर कहा, “मैं आप लोगों की सलाह चाहता हूँ। कल शाम किसी ने
मेरी मूँछ खींचने का साहस किया।
बताइए, उसे कैसी सजा दी जानी चाहिए ?”
दरबार में चारों ओर काना-फूसी होने लगी।
“ओह! कौन हो सकता है भला! राजा के साथ ऐसा करने की हिम्मत किसकी हुई?"
एक मंत्री ने कहा, “उसे कोड़े लगाने चाहिए।"
दूसरे ने कहा, “मेरी समझ से उसे कैद में डाल देना चाहिए।"
एक और दरबारी ने कहा, “उसे राज्य से ही निकाल देना चाहिए।
" बीरबल को शांत देख अकबर ने कहा, "बीरबल, तुम्हें कुछ नहीं कहना है?"
"जी महाराज, जिसने आपकी मूँछ खींची उसे मिठाई दी जानी चाहिए।"
चारों ओर शांति छा गई।
उन्होंने बीरबल से ऐसे उत्तर की आशा नहीं की थी।
अकबर ने पूछा, "क्यों बीरबल, जिसने मेरी मूँछ खींचने का साहस किया उसे मैं पारितोषिक कैसे दे सकता हूँ?”
“श्रीमान्, केवल आपका पोता ही आपकी मूँछ खींचने का साहस कर सकता है।
मुझे नहीं लगता है कि उसे मिठाई देने में आपको कोई आपत्ति होगी।"
अकबर हँसने लगे।
उन्हें बीरबल की हाज़िरजवाबी पर अचरज हो रहा था।