एक बार अकबर और बीरबल में किसी बात को लेकर विवाद हो गया।
राजा ने रुष्ट होकर बीरबल को मंत्री पद से हटा दिया।
बेचारा बीरबल बिना किसी को कुछ भी बताए हुए कहीं चला गया।
किसी को भी उसका अता-पता मालूम नहीं था।
कुछ ही दिनों में बादशाह को बीरबल की कमी महसूस होने लगी।
उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे कैसे ढूँढ़ा जाए।
कुछ सोचकर सभी पास-पड़ोस के राजाओं को उन्होंने एक संदेश भेजा, “हमने अपने समुद्र के विवाह का समारोह रखा है।
आप लोगों से अनुरोध है कि आप सभी अपनी सारी नदियों को इस समारोह में सम्मिलित होने के लिए भेज दें।
" ऐसा निमंत्रण पत्र पाकर सभी राजा परेशान हो उठे।
कई दिनों के बाद बादशाह को एक जवाब मिला,
“हमारे राज्य की नदियाँ आपके राज्य में आने की इच्छुक हैं
पर हम चाहते हैं कि आपके राज्य के सभी कुएँ मुख्य द्वार पर उनका
स्वागत करने के लिए तैयार रहें।
" पत्र को पढ़ते ही अकबर ने समझ लिया कि यह बीरबल की सूझ-बूझ अकबर स्वयं
उस राज्य में गए और अपने प्रिय मंत्री को अपने साथ ले आए।