तालाब से अंडा

बड़ा आनन्द मिलता बादशाह अकबर को बीरबल को चिढ़ाने था।

एक दिन, बीरबल थोड़ी देर से दरबार में आया।

इसी बीच बीरबल का मज़ाक उड़ाने की एक युक्ति बादशाह को सूझी।

उन्होंने अंडे मँगाकर सभी दरबारियों में एक-एक अंडा बँटवा दिया।

बीरबल के आते ही अकबर ने कहा, “कल रात मुझे एक सपना आया था।

मेरी मुलाकात एक साधु से हुई उसने बताया कि शाही तालाब के नीचे जाकर तली से जो भी

दरबारी अंडा लेकर आएगा वह मेरे प्रति निष्ठावान होगा।

इसलिए आप सभी को शाही तालाब में जाकर अंडा लाना है।

" सभी दरबारी शाही तालाब में कूद पड़े और अंडा लेकर बाहर आए।

पर बीरबल को भीतर जाने पर एक भी अंडा नहीं मिला।

बीरबल समझ गया कि महाराज ने उसके साथ मजाक किया है।

वह तालाब से बाहर निकला

और ज़ोर-ज़ोर से मुर्गे की तरह बांग देने लगा- कुकड़ कूँ ऽऽऽ कुकड़ कूँ ऽऽऽ... अकबर क्रोधित हो उठा।

उससे पूछा, “कहाँ है तुम्हारा अंडा? तुम ऐसे क्यों बांग दे रहे हो?"

शांतिपूर्वक बीरबल ने कहा,

“ श्रीमान्! अंडे केवल मुर्गियाँ देती हैं, मैं तो मुर्गा हूँ।"

यह सुनकर अकबर और दरबारी शर्मसार हो गए।