बैलगाड़ी

एक बार की बात है, अकबर की रानी बीरबल की जगह अपने भाई को मंत्री बनाना चाहती थी।

हालांकि, अकबर को यह विचार पसंद नहीं आया पर फिर भी एक बार ऐसा करके देखने का निश्चय किया।

उन्होंने रानी के भाई से कहा, “महल के फाटक के बाहर मुझे कुछ जाती हुई बैलगाड़ियों की आवाज सुनाई दे रही है।

पता करो कि वे कहाँ जा रही हैं।

" रानी का भाई यह पता करने गया और कुछ देर बाद लौटकर उसने कहा, “महाराज!

बैलगाड़ियाँ पूर्व दिशा की ओर जा रही हैं।”

“कितनी बैलगाड़ियाँ जा रही हैं?”

बादशाह ने पूछा।

रानी का भाई फिर पता करने गया और उत्तर लेकर लौटा।

अकबर ने बैलगाड़ी से संबंधित कई प्रश्न किए।

अंततः वह व्यक्ति ऊब गया।

इसी बीच बीरबल आया।

अकबर ने उससे पूछा, “वे बैलगाड़ियाँ कहाँ जा रही हैं?”

बीरबल

पता करने गया। दो घंटे के बाद लौटकर उसने बताया, “हुजूर, एक

सौ पाँच बैलगाड़ियाँ पूर्व दिशा की ओर जा रही हैं।

उन सब पर बहुत ही अच्छा चावल है।

मैंने सारा चावल खरीद लिया है।

उन्हें पैसा देकर मैं वापस लौटूंगा।”

रानी का भाई एक कोने में बैठा था।

अकबर ने उसकी ओर मुड़कर कहा, “इस कार्य के लिए एक चतुर व्यक्ति की आवश्यकता है।”