दामादों के लिए प्राणदण्ड

एक दिन अकबर ने अपने दामाद को संदेश भेजा,

"कृपया कुछ दिनों के लिए मेरी पुत्री को भेज दें।”

किन्तु दामाद ने अपनी पत्नी को भेजने से मना कर दिया।

आग बबूला हुए अकबर ने बीरबल से कहा, “राज्य के

सभी दामादों को फाँसी पर चढ़ाने की व्यवस्था करो।

" बीरबल मान गया।

कुछ दिनों के बाद उसने अकबर को सारी तैयारी का निरीक्षण करने के लिए बुलाया।

अकबर ने देखा कि ढेर

सारे फाँसी के फंदे लगे हुए थे।

वहाँ पर दो विशेष फंदे भी थे- एक

"वह सोने का था और दूसरा चाँदी का।

अकबर ने बीरबल से पूछा, सोने और चाँदी का फंदा किसके लिए है?"

बीरबल ने उत्तर दिया, "ओह! महाराज, वह मेरे और आपके लिए है।"

“क्या? किसने कहा कि मैं फाँसी पर चढ़ने जा रहा हूँ?"

"महाराज! आपने...' बीरबल ने कहा, "आपने ही कहा था

कि राज्य के सभी दामादों को फाँसी दे दी जाए।

आप भी तो किसी के दामाद हैं।

कल सबसे पहले आप जाएँगे, आपके पीछे मैं और फिर दूसरे लोग।

" अकबर अत्यधिक शर्मिंदा हुआ।

अकबर ने तुरंत अपना आदेश वापस ले लिया।