एक दिन, अकबर के मित्र ने बीरबल के पास एक संदेश के साथ तीन मूर्तियाँ भिजवाई।
संदेश कुछ इस प्रकार था, “ये तीनों मूर्तियाँ एक समान हैं, फिर भी एक सबसे अच्छी है,
एक ठीक-ठाक है और एक सबसे बुरी है।
कौन क्या है आपको बताना है?"
बीरबल ने मूर्तियों का निरीक्षण कर कहा, “मुझे कल तक का समय देने की कृपा करें।”
अगले दिन अकबर ने पूछा, “तुम्हें क्या पता लगा बीरबल?"
बीरबल ने मूर्ति की व्याख्या करते हुए बताया, “प्रत्येक मूर्ति के बाएँ कान में एक छेद था।
मैंने उन छेदों में एक पतला तार डाला।
पहली मूर्ति के मुँह से तार निकल गया, दूसरी मूर्ति के दूसरे कान से तार बाहर निकला और तीसरी मूर्ति के पेट
में तार गया।” “पहली मूर्ति उन लोगों की तरह है, जो जैसा सुनते हैं
वही बोलते हैं, वे बुद्धिमान नहीं होते इसलिए सबसे बुरे होते हैं।
दूसरी मूर्ति उन लोगों की तरह है, जो एक कान से सुनते हैं और दूसरे कान से निकाल देते हैं,
वे राज नहीं रखते पर पहली मूर्ति की तरह हानिकारक नहीं है।
तीसरी मूर्ति सबसे अच्छी है क्योंकि उस जैसे लोग, जो सुनते हैं उसे पचा लेते हैं
और कभी भी राज़ प्रकट नहीं करते हैं।"