एक बार अकबर की समस्या का समाधान बीरबल ने चुटकियों में कर दिया।
प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को अच्छी-खासी रकम इनाम में देने का वायदा कर दिया।
कई दिन बीत गए पर बीरबल को इनाम नहीं मिला।
बीरबल ने याद भी दिलाया पर अकबर ने अनसुनी कर दी।
दिन बीते, बीरबल ने भी भूल जाने में ही भलाई समझी और अकबर को भी याद दिलाना छोड़ दिया।
एक दिन अकबर और बीरबल बाज़ार में थे तभी उन्होंने एक ऊँट को देखा।
अकबर ने बीरबल से पूछा, “क्या तुम उस ऊँट को देख रहे हो?
उसकी गर्दन टेढ़ी क्यों है?" बीरबल ने अवसर का लाभ उठाना चाहा।
अकबर को इनाम की बात याद दिलाने की सोचकर बीरबल ने कहा, “महाराज !
अवश्य ही ऊँट ने किसी से वायदा किया है पर बाद में उसे पूरा करना भूल गया
है। इसी कारण उसकी गर्दन टेढ़ी हो गई।"
ऐसा उत्तर सुनकर अकबर अचंभित
रह गया। साथ-साथ वह यह भी समझ गया कि इशारा किस ओर था।
अगले ही दिन अकबर ने बीरबल को बुलाया और इनाम की रकम उसे देकर बोला,
“कहीं मेरी गर्दन तो टेढ़ी नहीं हुई न?"