एक कंजूस के पास हीरे और मोती थे।
उसने उन्हें एक गंदे कपड़े में बाँधकर अपनी झोंपड़ी में ज़मीन में दबा दिया था।
दुर्भाग्यवश एक दिन कंजूस की झोंपड़ी में आग लग गई।
वह बैठकर रोने लगा।
उसके जौहरी पड़ोसी ने उससे रोने का कारण पूछा।
कंजूस ने उसे मोतियों और हीरों की बात बताई।
पड़ोसी ने कहा, “मैं तुम्हारी बहुमूल्य वस्तुओं को ला सकता हूँ।
यदि मैं उन्हें ले आऊँगा, तो जो मुझे पसंद होगा वही तुम्हें दूँगा और शेष मैं रख लूँगा।
” कंजूस राजी हो गया। जौहरी जलती हुई कुटिया में जाकर उस बहुमूल्य पोटली को ले आया।
बाहर आकर उसने गंदा कपड़ा कंजूस को दे दिया।
कंजूस आग बबूला हो उठा और जौहरी को बीरबल के पास लेकर गया।
बीरबल ने पूछा, “तुम लोगों में क्या समझौता हुआ था?"
जौहरी ने कहा, “यही कि जो मुझे पसंद होगा वहीं मैं उसे दूँगा।” बीरबल
ने पूछा, “तुम्हें सबसे ज़्यादा क्या पसंद है... जवाहरात या गंदा कपड़ा?"
“निश्चित रूप से हीरे और मोती, " जौहरी ने कहा।
बीरबल ने कहा, “तब कृपया हीरे और मोती उसे दे दो क्योंकि वह तुम्हें पसंद है।
तुम कपड़ा अपने लिए रख सकते हो।"
जौहरी, बीरबल से चतुरता में मात खा गया था।
उसका सिर शर्म से झुक गया।