एक बार की बात है अकबर ने एक गरीब ब्राह्मण के विषय सुना।
लोगों का विश्वास था कि सुबह-सुबह उसका चेहरा देख लेने से उनका दिन दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है।
सच का पता लगाने के लिए अकबर ने ब्राह्मण को महल में रात बिताने के लिए बुलाया।
सुबह-सुबह उठते ही अकबर के भोजन करते समय उसकी कुर्सी टूट गई और वह गिर पड़ा।
तब अकबर को सुबह-सुबह ब्राह्मण का चेहरा देखना याद आया।
अकबर ने तुरंत ब्राह्मण को फाँसी की सजा दे दी।
बीरबल को इस बात का पता चला।
उसने ब्राह्मण से कहा कि वह उसके सुझाए अनुसा
र ही करे।
फाँसी से पहले ब्राह्मण की अंतिम इच्छा पूछी गई।
ब्राह्मण ने अकबर से बात करने की इच्छा जताई।
अकबर आया। ब्राह्मण ने कहा, "हे महाराज!
आपने मेरा चेहरा देखा तो आप का दोपहर का भोजन छूटा, किन्तु आपका चेहरा देखने से मेरा तो जीवन ही छूट रहा है।"
अकबर को अपनी मूर्खता समझ
में आ गई। उसने ब्राह्मण को बुलवाकर उससे क्षमा-याचना की तथा सिक्कों से भरा थैला उसे उपहार में दिया।