मूँगफली और उसके छिलके

एक दिन एक किसान ने अपने खेत की मूँगफली बादशाह अकबर को लाकर दी।

शाही रसोइए ने उन्हें छिलके सहित उबाला और शाही बगीचे में बैठे बादशाह और उनकी रानी को खाने के

लिए दी। रानी अकबर से दिल्लगी करना चाहती थी।

वह मूँगफली छीलकर दाना

रखती जाती और छिलके अकबर की ओर डालती जाती।

अकबर

के सेवकों ने दूर से यह देखकर सोचा कि राजा ने सारी मूँगफली खाई है

और रानी ने तो कुछ खाई ही नहीं है।

इसी बीच बीरबल वहाँ आया।

उसने राजा-रानी का अभिवादन किया।

रानी ने बीरबल को भी मूँगफली खाने के लिए कहा।

बीरबल के बैठते ही रानी ने कहा, “देखो, बीरबल, बादशाह ने कितनी सारी स्वादिष्ट मूँगफलियाँ खाई हैं...

देखो, छिलकों का “हाँ, मुझे पहाड़ बन गया है।"

बीरबल ने कहा, पता है कि वे अत्यंत सुस्वादु हैं।

महारानी जी, वे इतनी स्वादिष्ट हैं कि आपने छिलके भी खा लिए ।

" बीरबल के चतुरतापूर्ण उत्तर पर अकबर रानी के साथ ठहाका मारकर हँस पड़े।