दिव्य खरगोश

एक बार एक शिकारी रंगीन खरगोश लेकर बादशाह के दरबार में उपस्थित हुआ।

उसने अकबर से कहा, "महाराज! कल मुझे जंगल में यह रंगीन खरगोश मिला था।

मेरे बड़े दादा ने बताया कि यह

खरगोश दिव्य शक्तियों से भरपूर है।

उन्होंने इस खरगोश को आपको देने की सलाह

दी जिससे आप इसका सही उपयोग कर सकें।"

अकबर प्रसन्न

हो गए पर बीरबल को कुछ शंका थी।

बीरबल ने कहा,

'श्रीमान्! यह खरगोश सीधा जंगल से आ रहा है, धूल

से सना होगा। कृपया शिकारी से कहें कि वह उसे स्नान करा दे और फिर उसे पुरस्कृत भी किया जाएगा।"

बीरबल की बातें सुनकर शिकारी भयभीत हो उठा।

पर वह राजा की आज्ञा की अवहेलना न कर सका।

सेवक एक बड़े से पात्र में पानी भरकर लाए।

ज्यों-ही शिकारी ने खरगोश को नहलाना प्रारम्भ किया, सारा रंग पानी में घुल कर निकल गया।

खरगोश अब पूरी तरह सफेद हो चुका था।

बीरबल ने कहा, “इस व्यक्ति ने पुरस्कार के लोभ में खरगोश को रंग दिया था।

वस्तुतः वह आपको धोखा दे रहा था ।

" क्रुद्ध अकबर ने शिकारी को दण्ड दिया।