एक रात एक गरीब ब्राह्मण ने स्वप्न में देखा कि उसने सौ रुपए अपने मित्र से उधार लिए थे।
अगले दिन उसने अपने मित्र को अपने अजीबो-गरीब स्वप्न के विषय में बताया।
स्वप्न में जिस मित्र से उसने पैसे लिए थे उसने भी इस बात को सुना।
उसने कुछ पैसा बनाने के विचार से एक योजना बनाई।
वह ब्राह्मण से मिला और शीघ्र ही सौ रुपए लौटाने के लिए कहा।
ब्राह्मण के पास तो खाने के पैसे भी नहीं थे, वह बेचारा उसे कैसे पैसे देता?
मामला बिगड़ता गया।
वह व्यक्ति सहायता माँगने बीरबल के पास गया।
बीरबल ने उनकी बात सुनी।
फिर एक पहरेदार से एक बड़ा शीशा मँगवाया।
शीशे के सामने उसने सौ रुपए रख कर ब्राह्मण और उसके मित्र को बुलवाया।
बीरबल ने मित्र से कहा, “शीशे में दिख रहे पैसे को तुम ले लो।”
“ कैसे संभव है?”
बीरबल ने कहा, “स्वप्न में लिए हुए पैसे को वापस करना कैसे संभव है?"
शर्म से उस व्यक्ति ने सिर झुका लिया और ब्राह्मण से क्षमा-याचना की।