जो मुझे प्रिय हो

एक बार अकबर और बेगम में लड़ाई हो गई।

अकबर ने क्रोधित होकर कहा, “जाओ, सदा के लिए अपने पिता के घर चली जाओ।

मैं तुम्हारा चेहरा भी नहीं देखना चाहता हूँ।"

परेशान बेगम ने बीरबल से सलाह की।

बीरबल की सलाह पर उसने बादशाह से जाकर कहा, “जाते समय जो मुझे सबसे प्रिय हो उसे मैं साथ ले जाना चाहती हूँ।”

“ठीक है, जो तुम्हें पसंद हो ले जाओ।"

उस रात बीरबल ने सेवक से कहकर अकबर के भोजन में नींद की दवा मिलवा दी।

अकबर के सो जाने पर बीरबल ने सेवकों की सहायता से उन्हें घोड़ा गाड़ी में सुला दिया।

बेगम उन्हें साथ लेकर अपने पिता के घर चली गई।

सुबह नींद खुलने पर अकबर को लगा कि वह अपने शयन कक्ष में नहीं थे।

बेगम को देखकर उन्होंने पूछा, "तुम यहाँ क्यों हो?” बेगम ने कहा, "यह मेरे पिता का घर है।

आपने अपनी प्रिय वस्तु मुझे साथ लाने की अनुमति दी थी, इसलिए मैं आपको अपने साथ यहाँ ले आई।

आपसे अधिक प्रिय मुझे और क्या हो सकता है?"

बेगम के उत्तर से बादशाह प्रसन्न हो गए और उन्हें साथ लेकर महल वापस लौट आए।