एक शाम अकबर खाली बैठे थे।
यों ही समय बिताने के लिए उन्होंने बीरबल से पूछा, “क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारी पत्नी अपने 'ओह!
हुजूर.... मुझे पता हाथों में कितनी चूडियाँ पहनती हैं?" नहीं है।”
“तुम नहीं जानते हो?
प्रतिदिन तुम उसके हाथों को देखते हो फिर भी इस साधारण से प्रश्न का उत्तर तुम नहीं जानते हो?
क्यों तुम्हें यह पता नहीं है?" "हूँऽऽ... महाराज!
बगीचे में चलते हैं। वहीं मैं आपको बताऊँगा।”
जिज्ञासा के कारण बीरबल के पीछे-पीछे संकरी सीढ़ियों से उतरकर दोनों बगीचे में पहुँचे।
बगीचे में पहुँचकर बीरबल ने अकबर की ओर मुड़कर कहा, “हुजूर, अभी-अभी हम कितनी सीढ़ियाँ उतरकर आए हैं?"
इस प्रश्न के उत्तर से अनजान अकबर ने कहा, “बीरबल मुझे पता नहीं है ।
। " बीरबल "महाराज! आप प्रतिदिन सीढ़ियों से ऊपर नीचे जाते हैं फिर भी सीढ़ियों की गिनती आपको पता नहीं है ।
" बादशाह निरुत्तर थे। उन्होंने तुरंत विषय बदल दिया।